उत्तराखंड में अधिवक्ताओं का UCC के ऑनलाइन प्रावधानों के खिलाफ विरोध तेज
March 04, 2025
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सामान्य
उत्तराखंड: उत्तराखंड में अधिवक्ताओं का UCC के ऑनलाइन प्रावधानों के खिलाफ विरोध तेज
नैनीताल। उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत रजिस्ट्री, वसीयत और अन्य विधिक दस्तावेजों को ऑनलाइन और पेपरलेस करने के प्रावधानों का प्रदेशभर के अधिवक्ताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है। बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड, नैनीताल को विभिन्न बार एसोसिएशनों से इस संबंध में आपत्तियां प्राप्त हो रही हैं, जिसमें अधिवक्ताओं ने अपनी आजीविका पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है।
बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड, नैनीताल ने इस विरोध का समर्थन करते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि इस कानून के प्रावधानों को वापस लिया जाए। बार काउंसिल के सदस्य सचिव मेहरमान सिंह कोरंगा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह कानून अधिवक्ता हितों के विपरीत और अव्यावहारिक है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि रजिस्ट्री, वसीयत और अन्य विलेखों की ऑनलाइन प्रक्रिया को समाप्त कर पूर्व व्यवस्था को बहाल किया जाए।
अधिवक्ताओं का राज्यव्यापी विरोध
प्रदेशभर के अधिवक्ता इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उधम सिंह नगर के काशीपुर में अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार करते हुए विरोध जताया। काशीपुर बार एसोसिएशन का कहना है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री से 90% से अधिक अधिवक्ता, उनके सहायक, लिपिक और अन्य कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं।
इसी तरह, डोईवाला में परवादून बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष फूल सिंह वर्मा ने कहा कि यदि सरकार ने यूसीसी के इन प्रावधानों को वापस नहीं लिया तो अधिवक्ता व्यापक आंदोलन करेंगे।
कांग्रेस ने भी जताई आपत्ति
यूसीसी के कुछ प्रावधानों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भी विरोध जताया है। कांग्रेस ने 20 फरवरी को विधानसभा कूच करने और जनमत संग्रह आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि इस मुद्दे पर जनता की राय ली जा सके। पार्टी का कहना है कि यह प्रावधान आम जनता के हितों के खिलाफ है और इससे कानूनी धोखाधड़ी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि डिजिटल प्रक्रिया से पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा। हालांकि, अधिवक्ताओं का मानना है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री से कानूनी प्रक्रिया अधिक जटिल हो जाएगी और जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
अब देखना यह होगा कि सरकार अधिवक्ताओं की मांगों पर क्या निर्णय लेती है और क्या इस विवाद का कोई समाधान निकलता है।
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