ट्रेड टैक्स एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के किराया वृद्धि के विरोध में व्यापारी हुए एकजुट
March 23, 2023
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जनहित
उत्तराखंड: व्यापार मण्डल मल्लीताल ने आज रामसेवक सभा में बैठक की। बैठक के बाद व्यापारी जलूस लेकर नगरपालिका पहुंचे।व्यापारियों ने नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी को ज्ञापन सौंफ़ा। व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन सिंह नेगी और त्रिभुवन फ़र्तियाल ने बताया कि नगर पालिका द्वारा मांगे नहीं मानने पर एक अप्रैल से व्यापारी सवेरे दस से बारह बजे तक अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखकर जोरदार विरोध करेंगे।
ज्ञापन में पूर्व में नगर पालिका परिषद नैनीताल द्वारा प्रस्तावित ट्रेड टैक्स एवं पालिका द्वारा पूर्व में आवंटित व्यापारिक प्रतिष्ठानों के किराया वृद्धि के संदर्भ में मल्लीताल व्यापार मंडल द्वारा लिखित एवं मौखिक दोनों ही माध्यम से आपके सम्मुख व्यापारियों की आपत्तियां दर्ज कराई गई थी। हाल में ज्ञात हुआ है कि उपरोक्त क्रम में पालिका प्रशासन ट्रेड टैक्स एवं किराया वृद्धि के प्रस्ताव को आगामी वित्तीय वर्ष से लागू करने जा रही है। महोदय 1926 म्यूनिसिपैलिटी एक्ट (उत्तर प्रदेश) एवं नगरपालिका बाइलॉज के अनुरूप भी किसी भी कर को आरोपित करने से पूर्व स्थानीय प्रशासन को ना केवल आपत्तियों का निस्तारण करना होता है बल्कि साथ ही प्रस्तावित कर के सापेक्ष स्थानीय निकाय द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली सुविधाओं का भी उल्लेख करना होता है। मान्यवर पालिका द्वारा पूर्व में आवंटित दुकानों के आवंटन पत्र में प्रत्येक 5 वर्षों के पश्चात 15 से 25% तक की वृद्धि का उल्लेख है, बावजूद उसके नई व्यवस्था के अनुरूप किराए का निर्धारण करना औचित्यहिन है। यह तथ्य दीगर है कि छोटे-मझोले व्यापारियों को वर्तमान परिदृश्य में व्यापार को संचालित करने में तमाम प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
व्यापार मंडल द्वारा समय-समय पर विभिन्न मंचों पर फड़ -कारोबारियों के संदर्भ में केवल मौखिक बल्कि लिखित तौर भी अपनी आपत्तियां दर्ज करवाती रही है, लेकिन बड़े खेद का विषय है कि आतिथि तक फड़ कारोबारियों की समस्या के स्थाई समाधान हेतु पालिका प्रशासन द्वारा ठोस कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा रही है। वैण्डर जोन निर्धारण के संदर्भ में भी कई वर्षों से मैराथन बैठक कर मात्र औपचारिकता निभाई जा रही है। फड़ो के संचालन के लिए पूर्व में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा समय निर्धारित किया गया था, किंतु माननीय उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी खुली तौर पर चुनौती दी जा रही है। बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग मूकदर्शक की भूमिका में अधिक नजर आते हैं।
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