नैनीताल :शनि मंदिर में हुआ भव्य भंडारा, नयना देवी मंदिर में श्रीमद् देवी भागवत कथा जारी
June 09, 2024
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सामान्य
उत्तराखंड: नैनीताल:शनि जयंती के मौके पर ठंडी सड़क स्थित शनि देव मंदिर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। शुक्रवार को शुरू हुए अखंड रामायण का आज समापन हो गया। पंडित भगवती प्रसाद जोशी ने वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा-अर्चना व हवन कराया। जजमान प्रमुख वन संरक्षक डॉ. कपिल जोशी, संजीव रस्तोगी, अमन बेरवानी, पारस जोशी, वंश जोशी व विनीता तिवारी रहे। जिसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें हजारो की संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
पंज प्यारे, शबद कीर्तन, गतका पार्टी और बैंड की धुन पर शोभायात्रा के साथ शनिवार को सिखों के पांचवे गुरु अर्जन देव का शहीदी दिवस मनाया गया। गुरुद्वारा गुरसिंह सभा की ओर से सुबह अखंड साहब का भोग पढ़ा गया। कथावाचक सुरेंद्र सिंह (बरेली) ने अर्जन देव के व्यक्तित्व कृतित्व के बारे में बताया। दोपहर 12 बजे गुरुद्वारा से नगर कीर्तन की शुरुआत हुई।
श्री मां नयना देवी स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट नैनीताल द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के आज दूसरे दिन प्रातःकाल आचार्य नरेंद्र पाण्डे, कैलाश चंद्र लोहनी, ललित जोशी द्वारा समस्त देवी देवताओं का पूजन किया गया। आज कि पूजा के मुख्य यजमान मनोज चौधरी श्रीमती देवन चौधरी,व दिनेश चौधरी श्रीमती अलका चौधरी रहे
कथा के आज दूसरे दिन कि कथा का शुभारंभ कथा गायन के सहायक संगीत कारों - गीत कारों के द्वारा बहुत ही भक्ति मय भजनों के साथ गायन किया गया।
आज कि कथा का शुभारंभ व्यास पण्डित मनोज कृष्ण जोशी जी द्वारा मंगलाचरण के साथ किया गया। व्यास जी ने आनन्द मयी चैतंय मयी सत्यमयी परमेश्वरी मां भजन के साथ कथा का श्रीगणेश किया, और सारा नयना देवी मंदिर प्रांगण नयना मय हो उठा।
भजन गायकों वादकों में नीरज मिश्रा,लोकेश,आकाश नैनवाल, मनोज उप्रेती विवेक व प्रकाश ने उत्कृष्ट भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को भी गाने पर मजबूर कर दिया।
व्यास जी ने बतलाया कि देवी भागवत का नाम है ग्रन्थ। वह ग्रन्थ है जो हमारी ग्रंथियों को खोलता है। जो ग्रंथियों को खोलें उसे ही ग्रन्थ कहते हैं। व्यास जी ने श्रवण के माहात्म्य कि व्याख्या करते हुए कहा कि सुनना बहुत बड़ी साधना है। समस्त शास्त्रों में कहा गया है कि मैं (ईश्वर) शायद सुनने से जल्दी मिलता हूं। कैसे - श्रवण कि परम्परा से। सुनना बहुत बड़ी साधना है।व्यास जी ने पूजा और प्रेम के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बतलाया कि सुनना ही प्रेम की पराकाष्ठा है । सुनाना भी क्या सुनना है ,ये महत्वपूर्ण है।
कथा का मतलब यह नहीं है कि वह कामना पूर्ण हो जाए। कामना को तो विचार से भी पूर्ण किया जा सकता है। सुनना समर्पण है, साधना है।अर्थात देवी भागवत की कथा से समस्त दुःख दूर हो जाते हैं सभी अनिष्ट दूर हो जाते हैं।
कथा में राजा भोज व कालीदास, पीपल बट वृक्ष का महात्म्य, तथा मधु कैटभ कि कथा के साथ साथ मधु कैटभ का अर्थ भी समझाया। उन्होंने बतलाया कि मधु का अर्थ राग व कैटभ का अर्थ है द्वेष। भगवान विष्णु के कानों से इनका जन्म हुआ था,इस कारण हमारे जीवन में शत्रु और मित्र भी कानों से ही पैदा होते हैं, जैसे - प्रशंसा कर दी तो मित्र , व बुराई कर दी तो शत्रु। सामान्य अर्थ में मधु कैटभ का अर्थ है राग-द्वेष। राग द्वेष हमारे मन से पैदा होते हैं। भड़काने वालों की कमी नहीं होती। बुद्धि ही जगदम्बा है, आदिशक्ति है। ब्रह्मा विष्णु महेश भी जगदम्बा की , शक्ति की उपासना करते हैं।
व्यास जी ने कहा कि श्री मद देवी भागवत कथा को व्यास जी जनमेजय को सुना रहे हैं।
व्यास जी ने कहा कथा दर्शन है।इशारे से चलती है ये शुकदेव जी कि कथा नहीं है, ये हमारी तुम्हारी कथा है,हम सब की कथा है। व्यास जी ने कहा कि हम सबके जीवन का एक लक्ष्य होना चाहिए।हम सबको अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।
कल तीसरे दिन कि कथा का शुभारंभ ३ बजे से ६ बजे तक होगा। इस उपलक्ष्य पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, घनश्याम लाल साह, प्रदीप साह, महेश लाल साह, हेमन्त साह,यादव, राजीव दूबे, भीम सिंह कार्की, तथा श्री मां नयना देवी मंदिर के समस्त आचार्य भी मौजूद रहे। आज कथा ३ बजे से ६ बजे तक होगी।
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