हल्द्वानी में जनसुनवाई: भूमि विवाद, लोन और अतिक्रमण के मामलों का समाधान
February 17, 2025
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सामान्य
उत्तराखंड: हल्द्वानी में जनसुनवाई: भूमि विवाद, लोन और अतिक्रमण के मामलों का समाधान
हल्द्वानी। कुमाऊं आयुक्त व सचिव मुख्यमंत्री, दीपक रावत ने सोमवार को जनसुनवाई कर मौके पर शिकायतों का समाधान किया। जन शिकायतों में अधिकांश मामले भूमि विवाद, पारिवारिक विवाद, अतिक्रमण, सड़क, लोन आदि से जुड़े थे।
काशीपुर में 220 लोगों की भूमि खरीद का मामला
जनसुनवाई में काशीपुर, सीतारामपुर के लोगों ने बताया कि उन्होंने महेश शर्मा एवं बिल्डर्स से वर्ष 2012 में प्लॉट खरीदे, लेकिन भूमि सीलिंग की होने के कारण दाखिल-खारिज नहीं हो पाया। आयुक्त ने जिलाधिकारी उधमसिंह नगर को मामले की जांच के निर्देश दिए और कहा कि यदि भूमि सीलिंग की पाई जाती है, तो संबंधित के खिलाफ लैंड फ्रॉड एक्ट में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
भूमि खरीदने से पहले सतर्कता की सलाह
आयुक्त ने नागरिकों से अपील की कि वे भूमि खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उस पर किसी प्रकार का लोन या मुकदमा तो नहीं है। साथ ही खतौनी देखने और स्थलीय निरीक्षण कराने की सलाह दी ताकि भविष्य में विवादों से बचा जा सके।
व्यापारी से 7.42 लाख बकाया मामले में निर्देश
हल्द्वानी निवासी जगमोहन, जो होलसेल टॉफी व्यवसायी हैं, ने शिकायत की कि हल्द्वानी निवासी मो. दानियाल ने उनसे समय-समय पर सामग्री ली, जिसकी कुल राशि 7.42 लाख रुपये हो गई, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया। इस पर आयुक्त ने दानियाल को एक माह के भीतर धनराशि लौटाने के निर्देश दिए, अन्यथा कार्रवाई की चेतावनी दी।
सेना के सिपाही के प्लॉट विवाद का हल
पिछली जनसुनवाई में सेना के सिपाही सुन्दर सिंह ने बताया था कि उन्होंने हल्द्वानी कठघरिया में 13 लाख रुपये में प्लॉट खरीदा था, लेकिन भूस्वामी मनोज सिंह ने न तो प्लॉट दिया और न ही धनराशि लौटाई। आयुक्त के निर्देश के बाद सिपाही को 4.5 लाख रुपये वापस मिल गए हैं, जबकि शेष राशि के लिए आगे की कार्रवाई जारी है।
रुद्रपुर में पारिवारिक विवाद के कारण दाखिल-खारिज अटका
रुद्रपुर जयनगर के 6 लोगों ने शिकायत की कि उन्होंने कॉलोनाइजर से भूमि खरीदी और रजिस्ट्री भी हो गई, लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण दाखिल-खारिज नहीं हुआ। इस पर आयुक्त ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए और अगले जनसुनवाई में सभी पक्षों को बुलाने के आदेश दिए।
आयुक्त दीपक रावत द्वारा जनसुनवाई में अधिकतर मामलों का मौके पर ही समाधान किया गया, जिससे लोगों ने राहत महसूस की।
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