डीएसबी परिसर में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इन मॉडर्न ट्रेंड इन मेडिसिनल प्लांट का शुभारंभ
March 18, 2025
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सामान्य
उत्तराखंड: डीएसबी परिसर में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इन मॉडर्न ट्रेंड इन मेडिसिनल प्लांट का शुभारंभ
नैनीताल। डीएसबी परिसर के कला संकाय भवन में विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय तथा बॉटनी विभाग के तत्वावधान में और कुमाऊं विश्वविद्यालय व यूकॉस्ट द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इन मॉडर्न ट्रेंड इन मेडिसिनल प्लांट का शुभारंभ मंगलवार को हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल और कुलपति प्रो. दिवान एस. रावत ने दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम का प्रारंभ कुलगीत से हुआ और राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन सत्र का समापन किया गया।
• प्रो. सुनील नौटियाल ने बताया कि आज भी 80% मेडिसिनल प्लांट जंगलों से प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने वेजिटेटिव प्रोपेगेशन (वनस्पतियों का प्रवर्धन) को आवश्यक बताते हुए इंडस्ट्री के लिए सिंपल वैल्यू चेन तैयार करने का सुझाव दिया।
• उन्होंने कहा कि पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से औषधीय पौधों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। उन्होंने अश्वगंधा, जटामांसी, हत्था जड़ी, तुलसी, वन हल्दी और मेधा जैसे औषधीय पौधों को अत्यधिक संभावनाशील बताया।
कुलपति प्रो. दिवान एस. रावत ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि मेडिसिनल प्लांट न केवल जीवन को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि कई बीमारियों से मुक्ति भी दिला सकते हैं।
उन्होंने कहा कि:
• 3000 बीसी (ईसा पूर्व) से औषधीय पौधों का उपयोग हो रहा है।
• वर्तमान में 50,000 से 70,000 औषधीय एवं सुगंधित पौधों की प्रजातियां उपलब्ध हैं।
• उन्होंने मल्टीडिसिप्लिनरी शोध को बढ़ावा देने पर बल दिया।
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स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन
• निदेशक प्रो. रजनीश पांडे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
• प्रोफेसर चित्रा पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
• कार्यक्रम का संचालन निदेशक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी ने किया।
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प्रो. ललित तिवारी का संबोधन
प्रो. तिवारी ने औषधीय पौधों के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि इनका उल्लेख ऋग्वेद और अथर्ववेद में मिलता है, जिसे एनसाइक्लोपीडिया ऑफ मेडिसिन भी कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि:
• 2050 तक मेडिसिनल प्लांट उद्योग का मूल्य 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे 100 मिलियन लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
• उन्होंने बताया कि चरक संहिता में भी तुलसी, चंदन और पीपल का उल्लेख किया गया है।
तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों के व्याख्यान
तकनीकी सत्र में निम्न विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए:
• डॉ. शेर सिंह सामंत — डायवर्सिटी ऑफ मेडिसिनल प्लांट
• डॉ. आई. डी. भट्ट — मेडिसिनल प्लांट मैनेजमेंट
• प्रो. प्रीति चतुर्वेदी — मेटाबॉलिटीज ऑफ मेडिसिनल प्लांट
• प्रो. एस. डी. तिवारी — औषधीय ब्रायोफाइट्स
• डॉ. बी. एस. कालाकोटी — मेडिसिनल प्लांट का व्यावसायिक उपयोग
• डी. एफ. ओ. बलवंत सिंह साही — औषधीय पौधों की नर्सरी प्रबंधन एवं सुगंधित पौधों का प्रशिक्षण
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सम्मान एवं सहभागिता
• कॉन्फ्रेंस में अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया और हर्षित कुमार द्वारा बनाए गए उनके चित्र भेंट किए गए।
• कॉन्फ्रेंस में 150 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया।
• बुधवार को 41 शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे।
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उपस्थित गणमान्य अतिथि
इस अवसर पर डॉ. आर. सी. जोशी, डॉ. एस. एस. बरगली, प्रो. संजय घिल्डियाल, डॉ. आशीष तिवारी, डॉ. सुषमा टम्टा, डॉ. नीलू, डॉ. प्रभा, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. हर्ष, डॉ. नीलम मनुला, डॉ. निर्मला, डॉ. स्नेहलता, डॉ. केडिया, डॉ. चंद्रकांता, डॉ. हेमलता सहित अन्य शिक्षकगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
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