Nainital:मैरीगोल्ड और औषधीय पौधों पर प्रो. ललित तिवारी का ऑनलाइन व्याख्यान
March 27, 2025
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सामान्य
उत्तराखंड: मैरीगोल्ड और औषधीय पौधों पर प्रो. ललित तिवारी का ऑनलाइन व्याख्यान
कुमाऊं विश्वविद्यालय के निदेशक और विजिटिंग प्रोफेसर प्रो. ललित तिवारी ने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में आयोजित “डेवलपमेंट ऑफ हर्बल प्रोडक्ट्स फ्रॉम मैरीगोल्ड” विषय पर कार्यशाला में “मेडिसिनल प्लांट्स: स्टेटस एवं वितरण” पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया।
मैरीगोल्ड की उत्पत्ति और औषधीय गुण
प्रो. तिवारी ने बताया कि मैरीगोल्ड (गेंदा) मूल रूप से मैक्सिको और अन्य अमेरिकी स्थानों का पौधा है, जिसे पुर्तगालियों ने भारत में परिचित कराया। इसकी 33 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें हजारी गेंदा भी शामिल है। इस पौधे में कई औषधीय रसायन पाए जाते हैं, जैसे:
✔ बेटा कैरोटीन
✔ लाइकोपीन
✔ लूटीन
✔ ज़ीज़ंथाइन
✔ नियो कैंटीन
✔ फाइलेन
✔ अल्फा क्रिप्टोसेंथिन
औद्योगिक और औषधीय उपयोग
• मैरीगोल्ड से डाई (रंग), वैल्यू एडिशन उत्पाद और एंटी-एजिंग सिरप बनाया जाता है।
• इसके तेल का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
• फ्रांस, केन्या, ऑस्ट्रेलिया और भारत मैरीगोल्ड के प्रमुख उत्पादक देश हैं।
अष्टवर्ग औषधीय पौधों का संरक्षण जरूरी
व्याख्यान के दौरान, प्रो. तिवारी ने “अष्टवर्ग” औषधीय पौधों का भी उल्लेख किया, जिनमें से आठ में से पाँच पौधे अब विलुप्ति की कगार पर हैं। उन्होंने इनके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
मेडिसिनल प्लांट्स का वैश्विक कारोबार
• मेडिसिनल प्लांट्स का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और वर्ष 2050 तक इसका वैश्विक कारोबार 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
• प्रो. तिवारी ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कॉर्पस फंडिंग की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि औषधीय पौधों का संरक्षण और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
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