घंटों का सफर मिनटों में: केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे को मिली मंजूरी
March 06, 2025
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सामान्य
उत्तराखंड: घंटों का सफर मिनटों में: केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे को मिली मंजूरी
नई दिल्ली/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड के तीर्थयात्रियों के लिए बड़ी सौगात दी गई। केंद्र सरकार ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं पर 6811 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इन्हें छह वर्षों में पूरा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराखंड दौरे से ठीक पहले इस घोषणा से तीर्थयात्रियों और स्थानीय कारोबारियों में उत्साह है। इन रोपवे परियोजनाओं से न केवल यात्रा सुगम होगी बल्कि पर्यटन और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।
केदारनाथ रोपवे: 9 घंटे की यात्रा अब मात्र 36 मिनट में
वर्तमान में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक की यात्रा में करीब नौ घंटे का समय लगता है। लेकिन 12.9 किमी लंबे रोपवे के निर्माण से यह सफर मात्र 36 मिनट में पूरा होगा। इस परियोजना की कुल लागत 4081 करोड़ रुपये होगी और यह प्रति घंटे 1800 यात्रियों को यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा।
हेमकुंड साहिब रोपवे: 10 घंटे की यात्रा अब केवल 52 मिनट में
सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए यात्रियों को अभी 20 किमी कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है। लेकिन अब 12.4 किमी लंबा रोपवे बनने से यह सफर मात्र 52 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इस परियोजना की कुल लागत 2730 करोड़ रुपये होगी और इससे हर घंटे 1100 यात्री यात्रा कर सकेंगे।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन परियोजनाओं को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में पर्यटन और अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिलेगा। इसके अलावा, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए तीर्थयात्रा करना पहले से कहीं अधिक आसान होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल के दौरे पर हैं। वह वहां चारधाम शीतकालीन यात्रा के संदेश को बढ़ावा देंगे और एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएं:
परियोजना लंबाई लागत (करोड़ में) यात्रा समय यात्री क्षमता (प्रति घंटा)
केदारनाथ रोपवे 12.9 किमी 4081 36 मिनट 1800
हेमकुंड साहिब रोपवे 12.4 किमी 2730 52 मिनट 1100
इन परियोजनाओं के पूरा होने से उत्तराखंड में तीर्थयात्रा अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और पर्यावरण के अनुकूल हो जाएगी।
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