धराली आपदा पर कूटा-यूटा का शोक, सतत विकास व पर्यावरण संरक्षण की उठी मांग
August 10, 2025
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जनहित
उत्तराखंड: धराली आपदा पर कूटा-यूटा का शोक, सतत विकास व पर्यावरण संरक्षण की उठी मांग
उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में बादल फटने, भारी वर्षा और भूस्खलन से हुई भीषण प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान गई, संपत्ति, कृषि भूमि और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुँची। इस त्रासदी पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) और उत्तराखंड विश्वविद्यालय शिक्षा संघ (यूटा) ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों की आत्मा की शांति और प्रभावित परिवारों को धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की।
दोनों संगठनों ने कहा कि यह घटना पर्वतीय क्षेत्रों में अवैज्ञानिक विकास और अनियोजित निर्माण के खतरों को उजागर करती है। उन्होंने सरकार और नीति निर्माताओं से आग्रह किया कि विकास योजनाओं में पर्यावरणीय संतुलन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। वनों और जल स्रोतों के संरक्षण, अनियंत्रित पर्यटन व अत्यधिक निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण की आवश्यकता बताई गई।
कूटा ने विकास के वर्तमान मॉडल की पुनर्समीक्षा कर सतत विकास आधारित नीतियां अपनाने और पर्यावरण संरक्षण को सामाजिक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
संगठन ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के मनोज कुमार भवाली की माता के निधन पर भी शोक व्यक्त किया। इस अवसर पर कूटा अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी, महासचिव डॉ. विजय कुमार, उपाध्यक्ष प्रो. नीलू लोदियाल, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. उमंग सैनी, डॉ. अनिल बिष्ट, डॉ. दीपिका पंत, डॉ. युगल जोशी, डॉ. रितेश साह, और डॉ. नगेंद्र शर्मा समेत सभी सदस्यों ने संवेदना व्यक्त की।
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