नैनीताल: डोरोथी सीट बना इतिहास , भूस्खलन से हुआ ध्वस्त
August 07, 2024
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सामान्य
उत्तराखंड: मंगलवार की देर रात 11 बजे, डोरोथी सीट पर भूस्खलन की खबर ने पूरे नैनीताल में हड़कंप मचा दिया। वहां स्थित दुकानों के कर्मचारियों ने सूचना दी कि भूस्खलन के कारण वहां बना चबूतरा नष्ट हो गया है। क्षेत्र में बड़े-बड़े पत्थर गिरने से डर का माहौल बन गया है। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में डोरोथी सीट का क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं का शिकार रहा है। बरसात के मौसम में यहां भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। प्रशासन ने कई बार निरीक्षण कर और सुरक्षात्मक उपाय करते हुए पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाई है, लेकिन इन उपायों के बावजूद हालात नहीं सुधरे।
नैनीताल का टिफिन टॉप, जिसे डोरोथी सीट के नाम से भी जाना जाता है, नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान नैनीताल की खूबसूरती का एक अहम हिस्सा है। यहां से नैनीताल और आसपास के क्षेत्रों का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
डोरोथी सीट का नाम अंग्रेज चित्रकार डोरोथी केली की याद में रखा गया था। डोरोथी केली, कर्नल जे. पी. केली की पत्नी थीं, जिनकी मृत्यु 1936 में समुद्री यात्रा के दौरान हो गई थी। कर्नल केली ने अपनी पत्नी की स्मृति में इस स्थान का निर्माण कराया और इसे डोरोथी सीट नाम दिया।
### पर्यटकों के लिए आकर्षण
टिफिन टॉप या डोरोथी सीट पर्यटकों के बीच लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। यहां की शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और हरे-भरे जंगल पर्यटकों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं। पर्यटक यहां ट्रेकिंग, फोटोग्राफी और प्रकृति के नजारों का आनंद लेने आते हैं।
हालांकि, बीते कुछ वर्षों में डोरोथी सीट का क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं का शिकार रहा है। बरसात के मौसम में यहां भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। प्रशासन ने कई बार निरीक्षण कर और सुरक्षात्मक उपाय करते हुए पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाई है, लेकिन इन उपायों के बावजूद हालात नहीं सुधरे।डीएम वंदना सिंह ने बताया कि सूचना मिलने के बाद देर रात एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम को निरीक्षण के लिए भेजा गया। टीम ने निरीक्षण कर बताया कि क्षेत्र में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है।
डोरोथी सीट का ऐतिहासिक महत्व और पर्यटन की दृष्टि से इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन हाल की घटनाओं ने इसके अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आवश्यक है कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि यह स्थल अपनी खूबसूरती और महत्व को बनाए रख सके।
समुद्रतल से 7520 फीट की ऊंचाई पर स्थित टिफिन टॉप प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। ऊंचे देवदार व बाज के वृक्ष इस स्थान को रमणीक बनाते हैं तो शीतल हवा दिल को सुकून पहुंचाती है। पहाड़ का टॉप होने के साथ नैनीताल के शानदार दर्शन कराने वाले इस स्थान के अंग्रेज इस कदर मुरीद हुए कि शहर के आखिरी छोर पर चार किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर इसे पिकनिक स्पॉट बना दिया और नाम दिया टिफिन टॉप। इतिहासकारों की मानें तो चित्रकारी करने वाली अंग्रेज महिला डोरोथी केलेट को यह स्थल बेपनाह पसंद था। वह अक्सर ऊंची चढ़ाई पार कर टिफिन टॉप पहुंचतीं और वहा बैठकर कागज पर नैसíगक सुंदरता को उकेरा करतीं। दुर्भाग्य से इसी स्थान पर पैर फिसलकर खाई में गिरने से उनकी मौत हो गई। डोरोथी की याद में उनके पति कर्नल जेपी केलेट समेत उनके परिजनों ने स्मृति स्थल बनाया और तब से इस स्थान को डोरोथी सीट भी कहा जाने लगा।
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