नैनीताल में प्लास्टिक प्रदूषण: 41 हॉट स्पॉट्स की पहचान, प्रतिदिन 25-30 टन कचरा उत्पन्न
December 23, 2024
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जनहित
उत्तराखंड: कुमाऊं विश्वविद्यालय के इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन सेल और विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन व्याख्यान में आईपीई ग्लोबल लिमिटेड के विशेषज्ञ सौरभ मनुजा ने ‘प्लास्टिक कूड़ा प्रबंधन और उसकी चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संचालन विजिटिंग प्रोफेसर निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने किया, जिन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
प्लास्टिक उत्पादन और प्रदूषण के आंकड़े:
• विश्व में प्रतिवर्ष 414 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, जो 30% की दर से बढ़ रहा है।
• हर वर्ष 1.3 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक समुद्रों में पहुंच रहा है, जिससे लाखों समुद्री जीव और पक्षी प्रभावित हो रहे हैं।
नैनीताल में प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति:
• नैनीताल में प्रतिदिन 25-30 टन कचरा उत्पन्न होता है।
• शहर में प्लास्टिक प्रदूषण के 41 ‘हॉट स्पॉट’ चिह्नित किए गए हैं।
• डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण प्रणाली के तहत 14 वाहन कार्यरत हैं, जिससे 80% स्थानीय निवासी संतुष्ट हैं।
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के समाधान:
• ‘रिड्यूस, रीयूज, रीसायकल, रिकवरी और लैंडफिल’ के सिद्धांतों पर कार्य करने की आवश्यकता है।
• प्लास्टिक बैग्स पर सख्त प्रतिबंध लागू करना और जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
• नैनीताल में ‘जीरो वेस्ट’ अभियान और इंटर्नशिप कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सीडी सूता, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पीएल उनियाल, जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा की डॉ. रूबी सिंह, और यूओयू के डॉ. कृष्ण टम्टा ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में डॉ. नंदन मेहरा और पंकज पाठक ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
इस व्याख्यान ने प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता और उसके प्रबंधन के लिए आवश्यक कदमों पर जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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