कान्हा की दीवानी: हल्द्वानी में 21 वर्षीय युवती ने भगवान श्रीकृष्ण से रचाई शादी
July 11, 2024
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सामान्य
उत्तराखंड: कहते हैं, अगर किसी भी चीज़ को आप सिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपको मिलाने में लग जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ हल्द्वानी की हर्षिका के साथ, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानते हुए उनसे विवाह कर लिया। यह अनूठी शादी अब हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है।
**भक्ति में डूबी हर्षिका की कहानी**
हर्षिका, जो अब 21 वर्ष की हो चुकी हैं, श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर जीवन जी रही हैं। वह पिछले 15 सालों से करवा चौथ का व्रत कर रही थीं, इस उम्मीद में कि उनका विवाह भगवान श्रीकृष्ण से होगा। उन्होंने अपनी भक्ति और समर्पण के साथ भगवान श्रीकृष्ण को अपना जीवन साथी मान लिया।
**शादी की धूमधाम**
गुरुवार, 11 जुलाई को हर्षिका और भगवान श्रीकृष्ण का विवाह बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। इससे पहले बुधवार को उनके घर में मेहंदी और हल्दी का कार्यक्रम हुआ, जिसमें सभी रिश्तेदार और आसपास के लोग शामिल हुए।
सुबह साढ़े दस बजे गाजे-बाजे के साथ बारात आई। हर्षिका ने वृंदावन से लाई गई श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सात फेरे लिए और अपनी मांग में कान्हा के नाम का सिंदूर भर लिया। शादी समारोह में शामिल हुए अतिथियों के लिए खानपान और अन्य व्यवस्थाएं भी जुटाई गई थीं।
**कुमाऊंनी रीति-रिवाज और आशीर्वाद**
कुमाऊंनी रीति-रिवाज के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का दरवाजे पर स्वागत किया गया और फिर हर्षिका ने श्रीकृष्ण से शादी रचाई। शादी के बाद हर्षिका कान्हा की मूर्ति को लेकर कार से अपने रिश्तेदार के यहां पहुंची। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और शगुन का टीका भी लगाया।
**हर्षिका का जीवन और समर्पण**
हर्षिका बचपन से ही दिव्यांग हैं। उनके शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता और वह अपने दैनिक कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहती हैं। कक्षा पांचवीं तक पढ़ी हर्षिका ने अपने जीवन को पूरी तरह से श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया है। उनके पिता पूरन चंद्र पंत ने भी खुशी-खुशी इस विवाह को स्वीकार करते हुए कहा कि अब भगवान श्रीकृष्ण उनके दामाद बन गए हैं और उनके घर में विराजमान रहेंगे।
**मीराबाई की भांति भक्ति**
हर्षिका की यह कहानी मीराबाई की याद दिलाती है, जिन्होंने अपने यौवन से लेकर मृत्यु तक श्रीकृष्ण को ही अपना सर्वस्व माना था। हर्षिका की भक्ति, आस्था और समर्पण का यह अनूठा उदाहरण समाज के लिए एक प्रेरणा है
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