परंपरा बचेगी तो बचेगा पहाड़, पानी और पलायन

by Ganesh_Kandpal

March 8, 2021, 3:54 p.m. [ 843 | 0 | 1 ]
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गगास घाटी में महिला दिवस के अवसर पर पलायन परंपरा के संरक्षण संवर्धन को संकल्पित ग़ैर लाभकारी समुदाय आधारित ग़ैर राजनैतिक संस्था नौला फाउंडेशन
के तत्वाधान में हो रहा हैं। जिसमे गगास घाटी के ग्राम पंचायत व वन सरपंच प्रतिनिधियो ने जिला पंचायत अध्यक्ष उमा बिष्ट की अध्यक्षता में क्षेत्र की जीवनदायिनी गगास नदी पुनर्जीवन का संकल्प लिया । भारत वर्ष में नदियों के जल का ७०% स्प्रिंगफेड परम्परागत प्राकृतिक जल स्रोत है, जो वनाच्छादन की कमी, वर्षा का अनियमित वितरण एवं अनियंत्रित विकास प्रक्रिया के कारण सूखते जा रहे हैं। इस हिमालयी राज्य में गगास स्प्रिंगशेड ( नौले-धारे का रिचार्ज क्षेत्र) संवर्धन पर हो रही इस पंचायत कार्यशाला में असल हितधारक जन समुदाय को बनाया हैं क्योकि सरकार और स्थानीय सामाजिक संस्थाओ के साथ साथ स्थानीय जन भागीदारी को भी आगे आकर हिमालय के सूख रहे पारम्परिक जल स्रोत नौले, धारे, गाड़-गधेरो के साथ वहां की जैव विविधता को भी बचाना होगा और अब ऐसे संतुलित कानून बनाने होंगे। जलवायु परिवर्तन के कारण 50 प्रतिशत से ज्यादा जल धाराएं सूख चुकी है, और जो बची है उनमें भी सीमित जल ही बचा है अगर हम अभी भी नहीं सुधरें तो वो दिन दूर नहीं जब गंगा यमुना जैसी सतत वाहिनी नदिया को बनाने वाली जलधाराएं सूख जाएगी और तब स्थिति कितनी भयावह होगी ये आप कल्पना कर सकते हैं I हमारे वेदों के पारम्परिक जल विज्ञानं पर आधारित परम्परागत जल सरंक्षण पद्धति व सामुदायिक भागीदारी को ज्यादा जागरूक करके पारम्परिक जल सरंक्षण पर ध्यान देना। आज पूरा विश्व जिस संकट की आशंका से चिंतित है उसने हमारे दरवाजे पर दस्तक दे दी है I प्रकृति का क्रोध प्रत्यक्ष रूप से हमें विश्व के विभिन्न भागों में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है I विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में साल २०३१ तक सिर्फ ४०% लोगो को ही पीने का जल उपलब्ध हो पायेगा I दूनागिरि - पांडवखोली - भरतकोट के विशाल मिश्रित जंगल की समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण संवर्धन को स्थानीय कर्मठ ग्रामीणों व स्वयंसेवी व्यक्तियो व महिला मंगल दलो की परस्पर सामुदायिक सहभागिता से बचाने में सफल रहे । इस महिला दिवस के उपलक्ष्य में हुई महिला पंचायत कार्यशाला में मुख्य अतिथि माननीय जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती उमा बिष्ट, विशिष्ट अतिथि महिला आजिविक संवर्धन में अग्रणी समाजसेवी कमला कैडा व जल जंगल ज़मीन की रक्षा हेतू संकल्पित पर्यावरणविद गजेंद्र पाठक जी, समाजसेवी खेम कठायत, नारायण रावत, महेंद्र बनेशी, आलोक मैनाली, संदीप मनराल, गणेश, ललित कैडा, भुपेंद्र सिह, चंदन रावत । कार्यशाला का आयोजन युवा ग्राम प्रधान सूरना व गगास घाटी के युवाओ की प्रेरणा स्रोत सुमन कुमारी ने नौला फाउंडेशन के तत्वाधान में किया ।


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