by Ganesh_Kandpal
Dec. 28, 2021, 6:48 p.m.
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नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने मानव संसाधन विकास केंद्र द्वारा आयोजित विंटर स्कूल में औषधी पौधों की विविधता पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य लगातार ग्रीन बोनस कि माँग कर रहा है। कहा की सभी पहाड़ी राज्य जो पर्यावरण संरक्षण में ध्वज वाहक हैं उन्हें ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। प्रकृति ने इन पहाड़ी राज्यों को औषधिय पौधों का भंडार दिया है। भारत में 7500 औषधिय पौधें तथा भारतीय हिमालयी क्षेत्र में 1748 औषधिय पौधें ज्ञात किये जा चुके हैं, लेकिन 80 प्रतिशत इनका दोहन आज भी वनों में किया जा रहा है। ऐसे में औषधिय पौधों की खेती पहाड़ी राज्यों के लिए वरदान हो सकती है। सरकार को इसकी ठोस पहल करनी होगी जिससे आर्थिकी में बढ़ोत्तरी कि जा सकेगी। 2050 में हर्बल व्यापर विश्व का 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जायेगा ऐसे में भारत कितनी जिम्मेदारी लेगा ये बड़ा सवाल है। सरकार को स्पष्ट नीति एवं पौधों की उपलब्धता के साथ बाजार तक पहुँचाने एवं काश्तकार को उचित मूल्य मिले इसकी व्यवस्था करनी होगी।
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