नैनीताल: भव्य होगा इस बार नंदा देवी महोत्सव, 8 से 15 सितंबर तक नैनीताल में होगा आयोजन

by Ganesh_Kandpal

Sept. 6, 2024, 2:16 p.m. [ 963 | 0 | 0 ]
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नैनीताल। इस वर्ष का 122वां नंदा-सुनंदा महोत्सव 8 से 15 सितंबर तक नैनीताल में धूमधाम से मनाया जाएगा। श्री राम सेवक सभा द्वारा शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में महासचिव जगदीश बवाड़ी ने महोत्सव की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महोत्सव का उद्घाटन 8 सितंबर को दोपहर 2 बजे होगा, जिसमें विधायक और जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस महोत्सव का उद्देश्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है।

**कार्यक्रम की रूपरेखा**
महोत्सव के पहले दिन 8 सितंबर को कदली वृक्ष के प्रस्थान से शुभारंभ होगा, जबकि 9 सितंबर को सुखाताल में कदली वृक्ष का स्वागत और पूजन किया जाएगा। 10 सितंबर को मूर्ति निर्माण होगा और 11 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा और पूजन संपन्न होंगे। इसके बाद 12 सितंबर को कन्या पूजन और महाभंडारा डीएसए मैदान में आयोजित होगा। 13 सितंबर को भजन कार्यक्रम और दीपदान होगा, और 15 सितंबर को शोभायात्रा के बाद गोल्ज्यू मंदिर के पास मूर्ति विसर्जन किया जाएगा।

**सांस्कृतिक कार्यक्रम और आयोजन**
10 से 14 सितंबर तक राम सेवक सभा और तल्लीताल में हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियां और छोलिया दल भी शामिल होंगे। सभा के बाल कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

**पर्यावरण संरक्षण और यूनेस्को अभियान**
महोत्सव के दौरान पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा और स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे। इस महोत्सव को यूनेस्को की हेरिटेज साइट में शामिल करवाने के लिए सिग्नेचर अभियान भी चलाया जाएगा।

श्री राम सेवक सभा 1926 से इस महोत्सव का आयोजन करती आ रही है, और इस बार भी आयोजन को लेकर क्षेत्रवासियों में काफी उत्साह है। सभा के अध्यक्ष मनोज साह, महासचिव जगदीश बवाड़ी, अशोक साह, विमल चौधरी, मुकेश जोशी, प्रो. ललित तिवारी, भुवन बिष्ट, और अन्य प्रमुख सदस्यों ने श्रद्धालुओं को महोत्सव में आमंत्रित किया है।

**महोत्सव की मुख्य विशेषताएं:**
- 8 से 15 सितंबर तक नंदा देवी महोत्सव का आयोजन
- कदली वृक्ष का नगर भ्रमण और मूर्ति विसर्जन
- सांस्कृतिक कार्यक्रम और लोकगीत प्रतियोगिता
- महाभंडारा, सुंदर कांड, और विश्व शांति हेतु हवन
- पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त आयोजन

इस महोत्सव को उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत का प्रमुख उत्सव माना जाता है, और इसे राजकीय महोत्सव का दर्जा प्राप्त है।


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