by Ganesh_Kandpal
Sept. 13, 2024, 9:35 a.m.
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**श्री नंदा देवी की पंच आरती: सकारात्मक ऊर्जा और विश्व कल्याण का प्रतीक है जो सूर्यास्त के बाद की जाती है। इस आरती का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है और इसे अरिष्ट, विपत्ति, कष्ट, व कलेश को हरने वाली मानी जाती है। आरती श्रद्धा, आराधना, ध्यान और भावना का मार्ग है, जिसका अर्थ 'निराजना' है, अर्थात् अंधकार में प्रकाश फैलाना। आरती जलती हुई लौ को घी या तेल में भिगोकर की जाती है।
पंच आरती में पृथ्वी, जल, प्रकाश, वायु, आकाश और अंतरिक्ष को शामिल किया जाता है। यह जल, पुष्प, वायु, अग्नि, और कपड़े के माध्यम से इस आशय से की जाती है कि हमारी गलतियों के लिए क्षमा मिले। आरती के दौरान कलश में सभी देवताओं का निवास माना जाता है, साथ ही जल, नारियल, सोना, तांबे की मुद्रा, सप्त नदियों का जल, पान सुपारी और तुलसी जैसी पवित्र वस्तुएं रखी जाती हैं, जो शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक हैं।
आरती का मुख्य उद्देश्य मन को उल्लासित करना और ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाना है। पंच आरती विशेष रूप से विश्व कल्याण के लिए की जाती है। आरती के बाद हलवे का प्रसाद, जिसका अर्थ ही मिठास और आनंद है, प्रसन्नता के प्रतीक के रूप में दिया जाता है। प्रो. ललित तिवारी के अनुसार, पंच आरती सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है, जो स्नेह, निरोगता और समृद्धि को बढ़ाती है।
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