by Ganesh_Kandpal
June 10, 2024, 8:51 a.m.
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नैनीताल
श्री मां नयना देवी स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट नैनीताल द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के आज तृतीय दिवस प्रातःकाल आचार्य नरेंद्र पाण्डे, कैलाश चंद्र लोहनी, ललित जोशी द्वारा समस्त देवी देवताओं का पूजन किया गया। आज कि पूजा के मुख्य यजमान मनोज चौधरी श्रीमती देवन चौधरी, बिज्जन साह श्रीमती सुमन साह ।
कथा के आज तृतीय दिवस कि कथा का शुभारंभ व्यास पण्डित मनोज कृष्ण जोशी जी ने सबसे पहले आयोजकों श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट परिवार को, उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं का अभिनन्दन किया,आभार व्यक्त किया।
उसके बाद वाड़मय मूर्ति श्रीमद देवी भागवत को प्रणाम किया।और कल की कथा को आगे सुनाना आरम्भ किया उन्होंने कहा कि भगवती की कथा भगवान की कथा है ।यह कथा शिव है। इस कथा को सुनने के लिए देवता भी भूमि परआते हैं और प्रेत भी आते हैं। जिससे कल्याण हो उसे कहते हैं शिव। शब्द को भी ब्रह्मा कहा जाता हैं, अन्न को भी ब्रह्म कहा जाता हैं। उसी की प्रति मूर्ति है श्रीमद् देवी भागवत ।
इसके बाद व्यास जी ने श्री और लक्ष्मी के महत्व को विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने बतलाया कि श्री शक्ति का ही रूप है। बिना शक्ति के संसार शून्य है।
व्यास जी ने गायत्री मंत्र कि जानकारी दी।इसे गोपनीय मंत्र बतलाया।इसे जपने के महत्व को समझा। उन्होंने बतलाया कि पौराणिक गायत्री को कोई भी जप सकता है।
महाभारत कि कथा पर प्रकाश डालते हुए मां गंगा के महात्म का सन्दर्भ देते हुए भारतीय संस्कृति, आदि संस्कृति, सनातन संस्कृति के महत्व को समझा उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।इस कलयुग में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम भारतीय संस्कृति भारतीय परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं इसके कई उदाहरण प्रस्तुत भी उन्होंने प्रस्तुत किये। जैसे श्रवण कुमार, राष्ट्र कि सेवा के लिए राजगुरु, सुखदेव ,भगत सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि जिसने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व सुख न्योछावर कर दिया, एसे लोग अब क्यों नहीं जन्म लेते। आज मर्यादा खत्म होती जा रही है।हम अपने बच्चों को क्या संस्कार दे रहे हैं। हमने धार्मिक स्थलों को भी दूषित करते जा रहे हैं, हमने मन्दिरों को भी नहीं छोड़ा, हमरा पहनावा नग्नता कि हद पार करता जा रहा है।हम पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने की होड़ में नग्नता की सारी सीमाएं तोड़ रहे हैं।और पाश्चात्य संस्कृति के लोग हमारी संस्कृति, हमारी परम्पराओं को अपना कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। संस्कार के महत्व को समझाते हुए बतलाया कि बच्चों में मां के दूध से संस्कार आते हैं। और आज हम बच्चों को पाउडर का दूध पिला रहे हैं। पहले मां बच्चों को संस्कार देती थी, तभी पुत्र संस्कारी होते थे।
उन्होंने कहा कि आज हम वैदिक गणित को भूल चुके हैं संस्कार हमें नेचर से जोड़ते हैं।इसको उन्होंने भारतीय नववर्ष चैत्र प्रतिपदा के उदाहरण से समझा कि हम मां नव दुर्गा कि स्थापना करके नव वर्ष मनाते हैं।आज हम अपने संस्कारों, कर्मकांडों, परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने भारतीय शिक्षा पद्धति ( तक्षशिला) के स्वर्णिम काल पर प्रकाश डाला और यह भी बतलाया कि किस प्रकार कौनमैंट शिक्षा का प्रवेश करवाया,किस प्रकार गुरु कुल खत्म कर दिये गये।आज हमारे समाज से लगभग सब कुछ चला गया है आज हमें अपने अस्तित्व को बचाना है। इसके लिए अपने बच्चों को संस्कारित बनाना होगा।
इसके उपरांत व्यास जी ने स्नान के महत्व पर व स्नान कैसे करना चाहिए इसे भी समझा।
इसके बाद आरती में सभी श्रृद्धालु भक्त जन ने आरती में भाग लिया तथा प्रसाद प्राप्त किया। कथा गायन के सहायक संगीत कारों - गीत कारों के द्वारा बहुत ही भक्ति मय भजनों के साथ गायन किया गया।
भजन गायकों वादकों में नीरज मिश्रा,लोकेश,आकाश नैनवाल, मनोज उप्रेती विवेक व प्रकाश ने उत्कृष्ट भजन सुनाए।
कल कथा का शुभारंभ ३ बजे से ६ बजे तक होगा।
सभी श्रृद्धालु भक्त जन सादर आमंत्रित हैं।
कल तीसरे दिन कि कथा का शुभारंभ ३ बजे से ६ बजे तक होगा। इस उपलक्ष्य पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, घनश्याम लाल साह, प्रदीप साह, महेश लाल साह, हेमन्त साह,यादव, राजीव दूबे, भीम सिंह कार्की, तथा श्री मां नयना देवी मंदिर के समस्त आचार्य भी मौजूद रहे।
आज कथा३ बजे से ६ बजे तक होगी।
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