by Ganesh_Kandpal
Aug. 22, 2024, 8:16 p.m.
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**नैनीताल, - उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राजनीति, शिक्षा और सामाजिक सेवा में एक अद्वितीय नाम प्रताप सिंह, जिन्हें लोग स्नेहपूर्वक 'प्रताप भैय्या' के नाम से जानते हैं, का जीवन आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक है। 30 दिसंबर 1932 को नैनीताल जिले के च्यूरीगाढ़ में जन्मे प्रताप भैय्या ने अपने जीवनकाल में अनेकों महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया।
### **शैक्षिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन**
प्रताप भैय्या ने एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की। अपने छात्र जीवन के दौरान ही उन्होंने समाज सेवा के प्रति समर्पण दिखाया। जनपद नैनीताल में खुटानी विनायक मोटरमार्ग का निर्माण उन्होंने स्थानीय लोगों को संगठित कर श्रमदान से कराया। आचार्य नरेन्द्र देव के शिष्यत्व में समाजवाद की दीक्षा प्राप्त कर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। डॉ. राम मनोहर लोहिया, लोक नायक जयप्रकाश नारायण और यूसुफ महर अली जैसे महान समाजवादी विचारकों के दर्शन से प्रभावित होकर, उन्होंने समाजवादी आंदोलन को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया।
### **राजनीतिक करियर और समाज सेवा**
प्रताप भैय्या ने 1957 से 1962 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में सबसे कम उम्र के विधायक के रूप में कार्य किया। 1967-68 में वे उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य एवं सहकारिता विभाग के कैबिनेट स्तर के सबसे कम उम्र के मंत्री बने। उन्होंने पर्वतीय विकास परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी। वे प्रजा समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष पद पर रहे, और 1977 में जिला जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष बने।
### **शैक्षिक और सामाजिक योगदान**
प्रताप भैय्या ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। वे 123 से अधिक शिक्षण संस्थाओं के संस्थापक थे, जिनमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक के संस्थान शामिल हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से खटीमा, ओखलकांडा, स्यालदे, मानिला, और काण्डा जैसे स्थानों पर उच्च शिक्षा सम्पर्क केंद्रों की स्थापना की। इसके अलावा, उन्होंने नैनीताल में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय की स्थापना की, जिसके प्रधानाचार्य को वर्ष 1985 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रताप भैय्या ने विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की भी स्थापना की, जैसे कि आचार्य नरेन्द्र देव मानव सम्मान संस्थान, डॉ. लोहिया पुस्तकालय वाचनालय, और भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल।
### **सम्मान और पुरस्कार**
प्रताप भैय्या को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1988 में भारत भारती संस्था उत्तर प्रदेश द्वारा 'लोक रत्न' और 2002 में 'उत्तरांचल रत्न' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें 2007 में रॉयल सोसाइटी नैनीताल द्वारा लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। उत्तराखंड के तत्कालीन शिक्षामंत्री श्री नरेन्द्र सिंह भण्डारी द्वारा 2006 में उन्हें ज्ञान प्रकाश विद्यालय धमोला नैनीताल में विशेष सम्मान दिया गया।
### **लेखन और बौद्धिक योगदान**
प्रताप भैय्या ने अपने जीवन के अनुभवों और विचारों को पुस्तकों के माध्यम से साझा किया। उनकी प्रमुख रचनाओं में "हमारी शिक्षा एवं शिक्षानीति", "नियोजन के दावेदार", "डा० राजेन्द्र प्रसाद: भारतीय संविधान के पचास वर्ष", और "न्यायपालिका और जनता की आकांक्षाएँ" शामिल हैं। उनकी इन रचनाओं ने शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
प्रताप भैय्या के व्यक्तित्व पर आधारित एक पुस्तक भी लिखी गई है, जिसका नाम "आचार्य नरेन्द्र देव को समर्पित एक व्यक्तित्व" है। इसके अतिरिक्त, उनके शैक्षिक और सामाजिक योगदान के संदर्भ में शोध कार्य भी किए जा रहे हैं।
**निष्कर्ष:**
प्रताप भैय्या का जीवन हमें दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने समाज के प्रति समर्पण और कड़ी मेहनत से बदलाव ला सकता है। उनके द्वारा किए गए कार्यों और उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम सभी समाज और देश के लिए कुछ बेहतर करने का प्रयास कर सकते हैं। उनका जीवन, शिक्षा, राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्रों में किए गए अमूल्य योगदान के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा।
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