by Ganesh_Kandpal
Feb. 17, 2025, 10:18 a.m.
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क्या नैनीताल में बर्फबारी इतिहास बन जाएगी?
नैनीताल। उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल, जो कभी अपनी कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी के लिए जानी जाती थी, अब तेजी से बदलते मौसम का गवाह बन रही है। इस साल जनवरी और फरवरी में न केवल बर्फबारी नदारद रही, बल्कि तापमान भी असामान्य रूप से उच्च स्तर पर बना रहा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बदलाव जलवायु परिवर्तन और स्थानीय पारिस्थितिकी में हो रहे परिवर्तनों का नतीजा है।
बदलते मौसम की दस्तक
पहले जहां जनवरी-फरवरी के महीनों में नैनीताल बर्फ की सफेद चादर में लिपटा रहता था, वहीं इस साल तापमान 22 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी सबसे बड़ी वजह है आर्द्रता (नमी) की लगातार गिरावट। नैनीताल में पिछले कुछ वर्षों से बर्फबारी कम हो रही है और अब यह पूरी तरह अलविदा कहने की कगार पर है
नमी की कमी के कारण बर्फबारी की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं। अगर यही प्रवृत्ति जारी रही, तो नैनीताल का सर्द मौसम सिर्फ पुरानी यादों में सिमट कर रह जाएगा।
पिछले 6 वर्षों में तापमान में बड़ा बदलाव
अगर पिछले 6 वर्षों के जनवरी तापमान के आंकड़ों को देखें, तो यह स्पष्ट होता है कि न्यूनतम और अधिकतम तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है।
वर्ष न्यूनतम तापमान (°C) अधिकतम तापमान (°C)
2020 1.25 17.73
2022 3.25 18.8
2023 1.98 18.1
2024 2.5 16.3
2025 4.1 22.62
तापमान में यह बढ़ोतरी स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि नैनीताल के सर्द मौसम में भारी बदलाव हो चुका है।
क्या नैनीताल में बर्फबारी सिर्फ इतिहास बनकर रह जाएगी?
पहले जहां सर्दियों में नैनीताल में स्कूलों में ढाई महीने की सर्दी की छुट्टियां होती थीं, सरकारी दफ्तर तराई-भाबर में शिफ्ट कर दिए जाते थे और पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह बंद हो जाती थीं, वहीं अब स्थितियां बिलकुल विपरीत हो चुकी हैं।
• बर्फबारी के बिना नैनीताल का आकर्षण कम हो सकता है।
• स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।
• जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पैटर्न भी असंतुलित हो सकता है।
कैसे बचाया जाए नैनीताल का पारिस्थितिकी तंत्र?
वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि हम जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए प्रयास नहीं करेंगे, तो आने वाले वर्षों में नैनीताल का ठंडा मौसम पूरी तरह बदल सकता है। इसके लिए—
1. वनों की अंधाधुंध कटाई रोकी जाए।
2. पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।
3. स्थानीय प्रशासन जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाए।
4. हरित ऊर्जा और टिकाऊ जीवनशैली को अपनाया जाए।
क्या नैनीताल हमेशा के लिए बदल जाएगा?
जलवायु परिवर्तन की यह चेतावनी केवल नैनीताल तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के अन्य ठंडे इलाकों में भी यही हाल देखने को मिल रहा है। अगर हम आज भी पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से नहीं लेते, तो आने वाले समय में नैनीताल में बर्फबारी एक बीते जमाने की बात बन सकती है।
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