by Ganesh_Kandpal
April 12, 2025, 10:48 a.m.
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हनुमानगढ़ मंदिर नैनीताल में आज हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ है मंदिर में दर्शन के बाद श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं ।
हनुमानगढ़ मंदिर, नैनीताल से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसकी स्थापना श्री नीम करौली बाबा द्वारा की गई थी। इस मंदिर की नींव वर्ष 1950 में रखी गई थी, जब बाबा ने हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति की स्थापना की थी। बाद में, 1953 में, उन्होंने इसी मंदिर में हनुमान जी की एक बड़ी मूर्ति स्थापित की।
नीम करौली बाबा, जिनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गाँव में हुआ था, एक महान संत और हनुमान जी के परम भक्त थे। उन्होंने भारत में कई स्थानों पर आश्रम और मंदिर स्थापित किए, जिनमें से हनुमानगढ़ मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। बाबा का मानना था कि हनुमान जी के प्रति भक्ति से सभी कष्टों का निवारण होता है।
आज भी, हनुमानगढ़ मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि नैनीताल की सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यह रही हनुमानगढ़ मंदिर से जुड़े नीम करौली बाबा के कुछ चमत्कारों और आध्यात्मिक अनुभवों की जानकारी, जो भक्तों के बीच वर्षों से श्रद्धा और विश्वास का आधार बने हुए हैं:
हनुमानगढ़ मंदिर और नीम करौली बाबा के चमत्कार
1. हनुमान जी की मूर्ति का स्वयं प्रकट होना (स्वयंभू रूप)
1950 में जब बाबा नीम करौली महाराज पहली बार इस स्थान पर पहुँचे, तो उन्होंने कहा कि “यह भूमि अत्यंत पवित्र है, यहाँ हनुमान जी स्वयं विराजते हैं।” लोगों को पहले यह सामान्य बात लगी, पर कुछ समय बाद यहाँ खुदाई में एक छोटी हनुमान जी की मूर्ति निकली, जिसे बाबा ने उसी स्थान पर स्थापित किया। यह चमत्कार आज भी भक्तों के लिए आश्चर्य और आस्था का विषय बना हुआ है।
कई भक्तों ने बाबा के चरणों में आकर अपनी समस्याएँ रखीं – विशेषकर वो जो वर्षों से असाध्य रोगों से पीड़ित थे। बाबा ने न तो उन्हें कोई औषधि दी, न कोई मंत्र, बस “हनुमान चालीसा का पाठ करो” कहा। कुछ ही दिनों में ऐसे कई भक्तों ने चमत्कारी रूप से स्वास्थ्य लाभ पाया। आज भी श्रद्धालु मंगलवार को हनुमानगढ़ पहुँचकर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करते है
कई बार श्रद्धालु या पर्यटक जो हनुमानगढ़ के जंगलों में रास्ता भटक गए, उन्होंने बाद में बताया कि एक सफेद धोती पहने बुज़ुर्ग बाबा ने उन्हें सही रास्ता बताया। जब वे मंदिर पहुँचे और बाबा की तस्वीर देखी, तो वे अवाक रह गए – वही बाबा थे जिन्होंने उन्हें मार्ग दिखाया था
हनुमानगढ़ मंदिर से जुड़े कई भक्तों का मानना है कि बाबा नीम करौली महाराज आज भी मंदिर में उपस्थित रहते हैं। कई बार जब कोई संकट में होता है, तो उन्हें स्वप्न में या ध्यानावस्था में बाबा के दर्शन होते हैं और समाधान मिल जाता है।
हनुमानगढ़ न केवल एक मंदिर है, बल्कि यह श्रद्धा, चमत्कार और बाबा नीम करौली महाराज की कृपा का प्रतीक स्थल है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल दर्शन का सौभाग्य पाते हैं, बल्कि उन्हें बाबा की अनुभूति भी होती है – जो अनकही, लेकिन अत्यंत सजीव होती है
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