मकर संक्रांति आज ,धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व, सूर्य का मकर राशि पर होगा प्रवेश

by Ganesh_Kandpal

Jan. 13, 2025, 9:27 p.m. [ 378 | 0 | 0 ]
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मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। यह दिन जनवरी माह के 14 या 15 तारीख को पड़ता है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू करता है, यानी सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ता है।

धार्मिक महत्व:

मकर संक्रांति के दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है, जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि। इस दिन गंगा स्नान और गंगा तट पर दान को अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर जाते हैं, जो मकर राशि के स्वामी हैं। साथ ही, ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर सागर में जा मिलीं, जिसे गंगा सागर कहा जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह समय सर्दियों के अंत और गर्मी के आगमन का संकेत है, जो पर्यावरण और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्य की बढ़ती ऊर्जा से शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सांस्कृतिक परंपराएं:

मकर संक्रांति के अवसर पर तिल और गुड़ से बने व्यंजनों का सेवन और दान करने की परंपरा है। यह पर्व भारत के विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जैसे:
• गुजरात: उत्तरायण
• पंजाब, हरियाणा: माघी
• तमिलनाडु: पोंगल
• असम: भोगाली बिहु
• उत्तर प्रदेश, बिहार: खिचड़ी

इस दिन पतंग उड़ाने, खिचड़ी बनाने और दान करने की परंपरा भी है, जो समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देती है।

कुंभ स्नान का महत्व:

मकर संक्रांति के दिन कुंभ मेले का पहला शाही स्नान होता है। हर 12 साल में आयोजित कुंभ मेले की तिथियां खगोलीय घटनाओं के आधार पर तय होती हैं। मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान को महास्नान माना जाता है, जिससे कई गुना पुण्य मिलता है।

पौराणिक कथा:

मान्यता है कि अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच हुए युद्ध में अमृत की बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरीं - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।

मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना, पवित्र नदी में स्नान करना और दान करना शुभ माना जाता है
आलेख: डॉ ललित तिवारी


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