by Ganesh_Kandpal
Aug. 3, 2024, 8:54 p.m.
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कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी और पूर्व निदेशक एनबीआरआई लखनऊ, डॉ. दलीप कुमार उप्रेती ने "करंट सिनेरियो ऑफ लाइक्नोलॉजी इन इंडिया" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. उप्रेती, जिन्हें भारतीय लाइक्नोलॉजी के फादर प्रो. डीडी अवस्थी के शिष्य के रूप में जाना जाता है, ने बताया कि लाइकन छोटे होते हुए भी प्रकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डॉ. उप्रेती ने लाइकन के महत्व, उनके आवास के अध्ययन, और उनकी टैक्सोनोमी की कठिनाइयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 150 नई प्रजातियों की खोज की है और भारत में 300 प्रजातियों की पहचान की है। लाइकन शैवाल और फंगस के बीच के एसोसिएशन होते हैं, जिसमें 142 शैवाल और फंगस के तीन ग्रुप शामिल हैं। लाइकन मसाले, दवा और स्पेस रिसर्च में भी प्रयुक्त होते हैं।
भारत में विश्व के 15% लाइकन पाए जाते हैं और लाइकन सक्सेशन का पहला चरण हैं, जो चट्टानों को तोड़कर मिट्टी का निर्माण करते हैं। इनकी 160 प्रजातियाँ औषधीय उपयोग में आती हैं। मुनस्यारी में वन विभाग ने लाइकन गार्डन भी बनाया है, और ये बायोमॉनिटरिंग और क्लाइमेट चेंज को मापने में भी सहायक होते हैं।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. ललित तिवारी ने किया और विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस बरगली ने डॉ. उप्रेती का स्वागत किया। डॉ. हिमानी कार्की ने डॉ. उप्रेती को 'स्वर्ग का पौधा' परिजात भेंट किया और विद्यार्थियों ने उनके लिए पेंसिल स्केच प्रस्तुत किए। इस व्याख्यान में प्रो. किरण बरगली, प्रो. सुषमा टम्टा, प्रो. नीलू लोधियाल सहित कई शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे। अंत में, रुचि जलाल ने पीएचडी की अंतिम मौखिक परीक्षा दी।
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