by Ganesh_Kandpal
Jan. 10, 2025, 6:43 p.m.
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कचरे से ग्राफीन तक: प्रो. नंद गोपाल साहू का प्रेरक व्याख्यान
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर (KUIIC) और डायरेक्टोरेट ऑफ विजिटिंग प्रोफेसर द्वारा “प्रौद्योगिकी विकास, तकनीकी तत्परता स्तर (TRL), और लैब तकनीकों के व्यावसायीकरण” पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रमुख वक्ता प्रो. नंद गोपाल साहू ने तकनीकी नवाचार और अनुसंधान के व्यावसायिक पहलुओं पर गहन चर्चा की।
ग्राफीन: प्लास्टिक कचरे से चमत्कारी सामग्री तक
प्रो. साहू ने प्लास्टिक कचरे को ग्राफीन में बदलने की अपनी टीम की सफलता साझा की। ग्राफीन स्टील से 200 गुना मजबूत और हल्की सामग्री है, जिसका उपयोग ऊर्जा भंडारण, जल शोधन, और पॉलिमर निर्माण में किया जा रहा है।
तकनीकी नवाचार और व्यावसायीकरण
उन्होंने बताया कि उनकी तकनीक भीमताल और रायपुर के उद्योगों को हस्तांतरित की गई है। राइस स्ट्रॉ और एलोवेरा का उपयोग कर ग्राफीन बनाने की उनकी तकनीक ने नया पेटेंट भी दायर किया है।
सस्ती और उपयोगी तकनीकें
प्रो. साहू ने मात्र 30 पैसे की लागत से आयरन सेंसर स्ट्रिप के निर्माण की जानकारी दी, जिसका उपयोग जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए किया जा सकता है। उनकी टीम प्लास्टिक कचरे से हाइड्रोजन ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा में भी काम कर रही है।
व्याख्यान में विशेषज्ञों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में प्रो. लालित तिवारी, प्रो. आशीष तिवारी (KUIIC निदेशक), प्रो. लज्जा भट्ट, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. पेनी जोशी सहित कई शिक्षाविद् और शोधार्थी उपस्थित रहे। प्रो. साहू का व्याख्यान प्रयोगशाला अनुसंधान को व्यावसायिक स्तर पर लाने की संभावनाओं को उजागर करता है, जिससे प्रतिभागियों को नवाचार के माध्यम से समाज और पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा मिली।
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