by Ganesh_Kandpal
Sept. 7, 2023, 10:20 a.m.
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भारतवर्ष का रक्षक एवं पोषक पर्वतराज हिमालय को उसके स्थानीय समुदायों द्वारा समर्पित एक दिन हिमालय दिवस भी इस बार धूमधाम से मनाया जायेगा। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली हेतु कार्यरत समुदाय आधारित संस्था नौला फाउंडेशन भी कुमाऊँ विश्वविद्यालय के तत्वाधान में इस वर्ष नैनीताल स्थित विश्वविद्यालय सभागार में हितधारक कार्यशाला का आयोजन करने जा रही हैंक्षेत्र में हिमालयी जल सुरक्षा को लेकर चिंतित नौला फाउंडेशन की ये कोशिश हैं की, देश भर एवं उत्तराखंड के विषय विशेषज्ञ बढ़ते हिमालयी संभावित खतरे पर गहन चर्चा करेंगे और इसकी रिपोर्ट को वाकायदा भारत सरकार को सौपी जाएगी
फाउंडेशन के निदेशक किशन चंद्र भट्ट का कहना हैं की इस वर्ष भी अत्यधिक अनियंत्रित वर्षा के कारण समस्त हिमाली भूभाग को भारी भूस्खलन ,इमारत ढहने और आल वेदर सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को बहुत नुकसान झेलना पड़ा जिसकी एक वजह अनियंत्रित मानसून ट्रफ और कमजोर पश्चिमी विक्षोभ का मिलना कहा रहा जा रहा हैं। जबकि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन समेत अनियंत्रित निर्माण, अत्यधिक जनसंख्या, पानी के प्राकृतिक प्रवाह पर प्रतिबंध और जलविद्युत गतिविधियाँ इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैंभारी बारिश के कारण उत्तराखंड में बनी ऑल वेदर रोड बह गई और कई जगहों पर सड़क क्षतिग्रस्त होने की खबर है
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर यह सड़क मानसून की बारिश नहीं झेल सकती तो इसे ऑल वेदर कैसे कहा जा सकता है? जब इस सड़क से पर्यावरण को होने वाले खतरों का मुद्दा सामने आया तो चारधाम यात्रा मार्ग को भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बताया गया। उत्तराखंड में लघु हिमालयी क्षेत्र की स्थलाकृति और जल निकासी संरचनात्मक रूप से नियंत्रित होती है और भू-आकृति विकास में टेक्टोनिक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैसंरचनात्मक रूप से अल्मोडा थ्रस्ट (एटी) जो इस क्षेत्र की एक प्रमुख विवर्तनिक इकाई है।
मूल रूप से, एटी एक असममित सिनफॉर्मल थ्रस्ट शीट है, इस थ्रस्ट शीट के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को आमतौर पर क्रमशः उत्तरी अल्मोड़ा थ्रस्ट और साउथ अल्मोडा थ्रस्ट के रूप में जाना जाता है। आज के सापेक्ष में जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के कठिन और तत्काल खतरों का मुकाबला करने के लिए, क्षेत्रीय निर्णय लेने, बेहतर बुनियादी ढांचे की योजना, शहरी प्रदूषण के प्रभावी प्रबंधन और क्षेत्रीय सहयोग में वृद्धि के माध्यम से उत्पादक, न्यायसंगत और टिकाऊ जल उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए
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