by Ganesh_Kandpal
Sept. 4, 2023, 2:41 p.m.
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प्रकृती में कई पौधे ऐसे है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है, इनमें से एक है, तिमूर जो उत्तराखण्ड में प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, इसका वनस्पतिक नाम जेनथोजायलम अर्मिटम है। इसे संस्कृत में तजोवती के नाम से जाना जाता है। इसका पेड़ झाड़ीमुना होता है, इसके पेड़ पर छोटे-छोटे फल लगते है, जो पकने से पहले हरे रंग के गोलाकार होते है, पक्ने पर इनका रंग लाल रंग का हो जाता है। तिमूर को पहाड़ी नीम भी कहा जाता है.
तिमूर का पेड़ जाड़े में फूल देता है. इसके बीज अप्रैल-मई के महीने तक पकते हैं. इस पेड़ की पहचान इसके फल और तने में लगे इसके कांटों से होती है. इसके बीज गोल, छोटे और हरे होते हैं.
इसके वृक्ष की लंबाई लगभग 10-12 मी0 तक होती है, स्थानीय लोगों द्वारा इसका उपयोग भरपूर किया जाता है, इसके पौधे के पत्ती, फल तना सभी भागों का उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है।, इसे पहाड़ी नीम भी कहा जाता है।
इसकी पत्तियां को चबाने से झाग निकलता है, इसकी पत्तियों को स्थानीय लोगो द्वारा अनाजों में भी डाला जाता है, जिससे अनाजों में कीडे़ नही लगते है। तथा अनाजों को लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है।
तिमूर बीज के लाभ
तिमूर के बीजो को मुँह में डालने से पिपरमिंट जैसा स्वाद आता है, जो मुँह की दुर्गन्ध को दूर करने में लाभदायक है। इसके बीजों को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। जो पाचन एवं पेट संबंधी बिमारियों में लाभदायक है।
तिमूर के लाभ
इसकी सूखी टहनियों को लाठी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
इसके बीजों को माउथ फ्रेशर के रूप में उपयोग किया जाता है।
यह दर्द में काफी लाभदायक है।
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